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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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अख्तर सईदी

1958

बिस्मिल सईदी के परिवार के शायर और पत्रकार, दैनिक ‘जिसारत’ और ‘जंग’ से सम्बद्ध रहे

बिस्मिल सईदी के परिवार के शायर और पत्रकार, दैनिक ‘जिसारत’ और ‘जंग’ से सम्बद्ध रहे

अख्तर सईदी

ग़ज़ल 24

अशआर 6

ज़ख़्म-ए-निगाह ज़ख़्म-ए-हुनर ज़ख़्म-ए-दिल के बा'द

इक और ज़ख़्म तुझ से बिछड़ कर मिला मुझे

मुझे हासिल कमाल-ए-गुफ़्तुगू है

ये मैं हूँ या मिरे लहजे में तू है

कभी ख़याल की सूरत कभी सबा की तरह

वो कौन है जो मिरे साथ साथ चलता है

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रवाँ-दवाँ है ज़िंदगी चराग़ के बग़ैर भी

है मेरे घर में रौशनी चराग़ के बग़ैर भी

जब तिश्नगी बढ़ी तो मसीहा था कोई

जब प्यास बुझ गई तो समुंदर मिला मुझे

पुस्तकें 3

 

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