अख़्तर सिद्दीक़ी
ग़ज़ल 16
अशआर 1
तेरा हर राज़ छुपाए हुए बैठा है कोई
ख़ुद को दीवाना बनाए हुए बैठा है कोई
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere