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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Akram Naqqash's Photo'

समकालीन शायरों में शामिल

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अकरम नक़्क़ाश

ग़ज़ल 16

अशआर 14

ये कौन सी जगह है ये बस्ती है कौन सी

कोई भी इस जहान में तेरे सिवा नहीं

जियूँगा मैं तिरी साँसों में जब तक

ख़ुद अपनी साँस में ज़िंदा रहूँगा

कुछ तो इनायतें हैं मिरे कारसाज़ की

और कुछ मिरे मिज़ाज ने तन्हा किया मुझे

मयस्सर से ज़ियादा चाहता है

समुंदर जैसे दरिया चाहता है

इश्क़ इक ऐसी हवेली है कि जिस से बाहर

कोई दरवाज़ा खुले और दरीचा निकले

पुस्तकें 9

 

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