अली अब्बास उम्मीद
ग़ज़ल 9
नज़्म 5
अशआर 1
तअ'ल्लुक़ात की गर्मी न ए'तिबार की धूप
झुलस रही है ज़माने को इंतिशार की धूप
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere