आँखों में लिए जल्वा-ए-नैरंग-ए-तमाशा
आई है ख़िज़ाँ जश्न-ए-बहाराँ से गुज़र के
ज़ैदी, अली जव्वाद ज़ैदी (1916-2004) विचारधाराओं और साहित्यिक आन्दोलनों के बीच से गुज़रते हुए अपनी आवाज़ में बोलने वाले शाइरों में शामिल। आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश) में जन्म। उर्दू की बड़ी संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। शाइरी के अलावा साहित्य के इतिहास पर शोध-कार्य किया और आलोचना भी लिखी।
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