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अली सरदार जाफ़री की कहानियाँ
चेहरु माँझी
इस कहानी में ग़रीबी और निर्धनता के नतीजे में पैदा होने वाले हालात का चित्रण किया गया है। बंगाल के तटवर्ती इलाक़े में पली चहरो तेरह दिन के फ़ाक़े के बाद एक सेर चावल के लिए अपना जिस्म बेच देती है और फिर यह सिलसिला चल निकलता है और वह अपने जिस्म का सौदा करती ही रहती है। हालात ऐसे बन जाते हैं कि उसे सफ़ेद-पोशों पर रो‘अब जमाने और अपना ग़ुस्सा निकालने का मौक़ा मिलता रहता है लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद उसके दिल में अपने असल की तरफ़ वापसी की इच्छा जागृत रहती है। इसीलिए वो गणेश मछुवारे की मुहब्बत को अपने दिल में ज़िंदा रखती है।
आओ इस दुनिया से निकल चलें
"ये एक प्रतीकात्मक कहानी है जिसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका से कहता है, आओ इस मक्कार और फ़रेबी दुनिया से बाहर कहीं दूर निकल चलें। ये दुनिया जिसके हर हर पहलू में बुराई और फ़साद है, इससे दूर कहीं अपना आशियाना बनाएँ और अपने सीनों को मुहब्बत से भर लें और उसी जगह लौट चलें जहाँ से हम आए हैं।"
लक्ष्मी
मज़दूरों के शोषण पर निर्मित इस कहानी का मूक पात्र लक्ष्मी है जो भरी जवानी में विधवा होने के बाद एक कारख़ाने के मालिक की हवस का शिकार हुई थी। मज़दूरों ने इस दुर्घटना पर आवेश में आकर ज़बरदस्त हड़ताल किया था और कारख़ाने को आग लगा दी थी। जिसके क़िस्से अब तक लोगों की ज़बान पर थे लेकिन तीन दशक के बाद उसी लक्ष्मी का जब देहांत होता है तो गिनती के चंद मज़दूर उसकी अर्थी के साथ होते हैं।