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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अली ज़ुबैर

अली ज़ुबैर

ग़ज़ल 2

 

अशआर 2

दिल का छूना था कि जज़्बात हुए पत्थर के

ऐसा लगता है कि हम शहर-ए-तिलिस्मात में हैं

लोग मोहतात हैं रवय्यों में

क़ुर्बतों में भी फ़ासला है यहाँ

 

पुस्तकें 2

 

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