शरारत, अल्लाह दी (1885) मेरठ की डेरेदार तावाइफ़। सारी ज़िन्दगी देहली में गुज़ारी। बाबू चंडी प्रसाद शैदा देहलवी की शागिर्द । साहित्यि का पत्रिकाओं में कलाम का प्रकाशन।
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