आलोक मिश्रा
ग़ज़ल 30
अशआर 13
सब सितारे दिलासा देते हैं
चाँद रातों को चीख़ता है बहुत
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क्या ज़रूरत है मुझ को चेहरे की
कौन चेहरे से जानता है मुझे
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मैं भी बिखरा हुआ हूँ अपनों में
वो भी तन्हा सा अपने घर में है
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अजीब ख़्वाब था आँखों में नींद छोड़ गया
कि नींद गुज़री है मुझ को ज़लील करते हुए
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मरा हुआ मैं वो किरदार हूँ कहानी का
जो जी रहा है कहानी तवील करते हुए
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वीडियो 7
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