संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल28
नज़्म12
शेर48
हास्य शायरी1
ई-पुस्तक289
चित्र शायरी 4
ऑडियो 8
वीडियो13
रुबाई18
क़िस्सा4
लेख10
अन्य
नअत1
मसनवी1
अल्ताफ़ हुसैन हाली के क़िस्से
ग़ज़ल की इस्लाह
मौलाना हाली के पास उनके एक मिलने वाले ग़ज़ल लिख कर लाए और बराए इस्लाह पेश की। ग़ज़ल में कोई भी मिसरा ऐब से ख़ाली न था। मौलाना हाली ने तमाम ग़ज़ल पढ़ने के बाद बे-साख़्ता फ़रमाया, “भई ग़ज़ल ख़ूब है, इसमें तो कहीं उँगली रखने को भी जगह नहीं।”
हाली मवाली का मौलवी होना
एक मर्तबा मौलाना हाली सहारनपुर तशरीफ़ ले गए और वहाँ एक मुअज़्ज़िज़ रईस के पास ठहरे जो बड़े ज़मींदार भी थे। गर्मी के दिन थे और मौलाना कमरे में लेटे हुए थे। उसी वक़्त इत्तफ़ाक़ से एक किसान आगया। रईस साहब ने उससे कहा कि “ये बुज़ुर्ग जो आराम कर रहे हैं उनको पंखा