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अमर सिंह फ़िगार

1913

अमर सिंह फ़िगार

ग़ज़ल 9

अशआर 8

तू ये पूछ मिरे गाँव में हैं घर कितने

ये पूछ कौन से घर में अज़ाब कितने हैं

फूल तो क्या ख़ार भी मंज़ूर हैं

बे-रुख़ी से यूँ मगर फेंको नहीं

जोश-ए-तकमील-ए-तमन्ना है ख़ुदा ख़ैर करे

ख़ाक होने का अंदेशा है ख़ुदा ख़ैर करे

भूले से गया हूँ फ़रिश्तों के देस में

किस से पता करूँ कि यहाँ फ़र्द कौन है

शायद निकल ही आए कोई चारागर 'फ़िगार'

इक बार और देख सदा कर के शहर में

पुस्तकें 1

 

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