एक दरवेश को तिरी ख़ातिर
सारी बस्ती से इश्क़ हो गया है
अम्मार इक़बाल की गिनती उन युवा और योग्य शायरों में होती है जो ग़ज़ल से अपना लहजा स्थापित करने के बाद नज़्म की तरफ़ उन्मुख हुए तो इस मैदान में भी संजीदा पाठकों ने उनको सराहा।
उन्होंने अपनी शायरी में जज़्बों की ताज़गी और बयानीए पर पुरानेपन का साया तक नहीं पड़ने दिया। टूटते मूल्यों की बहाली के इच्छुक अम्मार इक़बाल सांस्कृतिक और तहज़ीबी तक़ाज़ों को सौंदर्य के स्तर पर अपने अंदर समो कर अभिव्यक्ति की बेपनाह सलाहियत रखते है, जहां उनकी ग़ज़लें नए रूपों में सज-धज कर सामने आती हैं, वहीं उनकी नज़्में भी सलीक़े और हुनरमंदी से सुसज्जित हैं।
अम्मार इक़बाल मयार और मात्रा के सुंदर संतुलन के साथ परंपरा से बहुत ही सुरक्षित सम्बंध रखते हुए प्रशंसनीय शे’र कहते हैं।
आजकल आप प्रोनेट लिख रहे हैं जो उर्दू शायरी में अभिव्यक्ति की एक नई विधा है और नस्री नज़्म के नए आकार प्रकार पैदा कर के उन नए लिखने वालों में लोकप्रिय हैं जो अभिव्यक्ति की नई राहें खोजने के प्रयत्न में हैं।
अम्मार इक़बाल1986 में कराची में पैदा हुए और फ़िलहाल लाहौर में रहते हैं। 2015 में आपका पहला संग्रह “परिंदगी” प्रकाशित हो कर दाद-ओ-तहसीन हासिल कर चुका है और दूसरा काव्य संग्रह “मंझ रूप” के नाम से प्रकाशित हुआ जिसको साहित्य जगत में सराहा गया। उनकी लंदन, हिंदुस्तान और पाकिस्तान से उर्दू अंग्रेज़ी और हिन्दी में फ़लसफ़ा, फ़िक्शन और शायरी जैसी महत्वपूर्ण विधाओं पर दस किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। आप शिक्षा विभाग और रेडियो से भी सम्बद्ध रहे।
आपकी निम्नलिखित रचनाएँ हैं:
परिंदगी (ग़ज़लें,नज़्में),मंझ रूप (नज़्में), प्रोनेट(नस्री सॉनेट), मंझ रुपीयत (काफ्का का अनुवाद) अजनबी(कॉमियो का अनुवाद)
बैज़वी औरत (लियोनोरा कैरिंग्टन का अनुवाद), दीवानों की डायरियां (मोपसां, गोगोल, लियो शान के अनुवाद), मर्गस्तान (अल़्बर्ट कॉमियो का अनुवाद),गुड मॉर्निंग
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