अमृतांशु शर्मा के शेर
कूज़ा जैसे कि छलक जाए है भर जाने पर
कोई आँसू ही बहा दे मिरे मर जाने पर
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वो ख़ुश हुआ कि उस को ख़सारा नहीं हुआ
मैं रो रहा था मेरा सहारा चला गया
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टैग : ख़ुशी
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