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अंजुम ख़लीक़

1950

पाकिस्तान के शायर और पत्रकार

पाकिस्तान के शायर और पत्रकार

अंजुम ख़लीक़

ग़ज़ल 23

नज़्म 5

 

अशआर 39

कैसा फ़िराक़ कैसी जुदाई कहाँ का हिज्र

वो जाएगा अगर तो ख़यालों में आएगा

इंसान की निय्यत का भरोसा नहीं कोई

मिलते हो तो इस बात को इम्कान में रखना

कहो क्या मेहरबाँ ना-मेहरबाँ तक़दीर होती है

कहा माँ की दुआओं में बड़ी तासीर होती है

ज़मीं की गोद में इतना सुकून था 'अंजुम'

कि जो गया वो सफ़र की थकान भूल गया

सो मेरी प्यास का दोनों तरफ़ इलाज नहीं

उधर है एक समुंदर इधर है एक सराब

पुस्तकें 3

 

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