अंजुम लुधियानवी
ग़ज़ल 13
अशआर 16
ख़ुद-कुशी करने में भी नाकाम रह जाते हैं हम
कौन अमृत घोल देता है हमारे ज़हर में
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ख़ुशबुएँ फूट के रोई होंगी
गुल हवाओं में जो बिखरा होगा
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दिल बुझा बुझा हो तो क्या बुरा है रोने में
बारिशों के बा'द अंजुम आसमाँ निखरता है
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रंग ही से फ़रेब खाते रहें
ख़ुशबुएँ आज़माना भूल गए
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