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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायर, अपने संजीदा लहजे के लिए विख्यात।

महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायर, अपने संजीदा लहजे के लिए विख्यात।

अंजुम सलीमी

ग़ज़ल 33

नज़्म 25

अशआर 73

किसी तरह से नज़र मुतमइन नहीं होती

हर एक शय को दोबारा बदल के देखता हूँ

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ख़ाक छानी किसी दश्त में वहशत की है

मैं ने इक शख़्स से उजरत पे मोहब्बत की है

तेरे अंदर की उदासी के मुशाबह हूँ मैं

ख़ाल-ओ-ख़द से नहीं आवाज़ से पहचान मुझे

मैं आज ख़ुद से मुलाक़ात करने वाला हूँ

जहाँ में कोई भी मेरे सिवा रह जाए

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वो इक दिन जाने किस को याद कर के

मिरे सीने से लग के रो पड़ा था

पुस्तकें 3

 

चित्र शायरी 2

 

ऑडियो 22

अच्छे मौसम में तग-ओ-ताज़ भी कर लेता हूँ

आइना साफ़ था धुँदला हुआ रहता था मैं

इन दिनों ख़ुद से फ़राग़त ही फ़राग़त है मुझे

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"फ़ैसलाबाद" के और शायर

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