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अनवर जलालपुरी

1947 - 2018 | जलालपुर, भारत

शायर और मुशायरों के संचालक, ‘गीता’ और ‘गीतांजलि’ का उर्दू में पद्यात्मक अनुवाद भी किया

शायर और मुशायरों के संचालक, ‘गीता’ और ‘गीतांजलि’ का उर्दू में पद्यात्मक अनुवाद भी किया

अनवर जलालपुरी

ग़ज़ल 5

 

अशआर 9

मेरा हर शेर हक़ीक़त की है ज़िंदा तस्वीर

अपने अशआर में क़िस्सा नहीं लिख्खा मैं ने

कोई पूछेगा जिस दिन वाक़ई ये ज़िंदगी क्या है

ज़मीं से एक मुट्ठी ख़ाक ले कर हम उड़ा देंगे

मुसलसल धूप में चलना चराग़ों की तरह जलना

ये हंगामे तो मुझ को वक़्त से पहले थका देंगे

सभी के अपने मसाइल सभी की अपनी अना

पुकारूँ किस को जो दे साथ उम्र भर मेरा

अब नाम नहीं काम का क़ाएल है ज़माना

अब नाम किसी शख़्स का रावन मिलेगा

पुस्तकें 10

 

वीडियो 13

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अनवर जलालपुरी

Ilm ka falsafa(Shreemat Bhagwat Geeta Part-2)

अनवर जलालपुरी

Main har harf-o-lafz ko goya banata hu

अनवर जलालपुरी

Paraya kaun hai aur kaun apna sab bhula denge

अनवर जलालपुरी

Qayaam gaah na koi na koi ghar mera

अनवर जलालपुरी

Shadab-o-shagufta koi gulshan na milega

अनवर जलालपुरी

Zulf ko abr ka tukdaa nahin likha maine

अनवर जलालपुरी

क़याम-गाह न कोई न कोई घर मेरा

अनवर जलालपुरी

ज़ुल्फ़ को अब्र का टुकड़ा नहीं लिख्खा मैं ने

अनवर जलालपुरी

पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे

अनवर जलालपुरी

मैं हर बे-जान हर्फ़-ओ-लफ़्ज़ को गोया बनाता हूँ

अनवर जलालपुरी

शादाब-ओ-शगुफ़्ता कोई गुलशन न मिलेगा

अनवर जलालपुरी

ऑडियो 4

क़याम-गाह न कोई न कोई घर मेरा

ज़ुल्फ़ को अब्र का टुकड़ा नहीं लिख्खा मैं ने

पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे

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