अनवरी जहाँ बेगम हिजाब
ग़ज़ल 8
अशआर 7
हिजाब उन से वो मेरा पूछना सर रख के क़दमों पर
सबब क्या है जो यूँ मुझ से ख़फ़ा सरकार बैठे हैं
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मिलने के बा'द बैठ रहा फेर कर निगाह
ज़ालिम यगाना होते ही बेगाना हो गया
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सीना से सीना मिला देना तो कुछ मुश्किल नहीं
यार मुश्किल तो तिरे दिल से मिलाना दिल का है
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कहाँ मुमकिन है पोशीदा ग़म-ए-दिल का असर होना
लबों का ख़ुश्क हो जाना भी है आँखों का तर होना
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क़यामत था सितम था क़हर था ख़ल्वत में ओ ज़ालिम
वो शरमा कर तिरा मेरी बग़ल में जल्वा-गर होना
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