अरशद अब्दुल हमीद के दोहे
किस किस को समझाएगा ये नादानी छोड़
चेहरे को सुंदर बना आईना मत तोड़
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ख़ुदा करे ये रौशनी पड़े कभी न माँद
गालों पर वो लिख गया आधे आधे चाँद
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सावन आते ही बढ़े आवाज़ों का ज़ोर
ख़ुशबू चीख़े डाल पर रंग मचाएँ शोर
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