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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अरशद कमाल

ग़ज़ल 16

नज़्म 9

अशआर 7

वो आए तो लगा ग़म का मुदावा हो गया है

मगर ये क्या कि ग़म कुछ और गहरा हो गया है

मुझ को तलाश करते हो औरों के दरमियाँ

हैरान हो रहा हूँ तुम्हारे गुमान पर

कभी उन का नहीं आना ख़बर के ज़ैल में था

मगर अब उन का आना ही तमाशा हो गया है

वो ज़माने का तग़य्युर हो कि मौसम का मिज़ाज

बे-ज़रर दोनों हैं नैरंगी-ए-आदाम के सिवा

बिला-सबब तो कोई बर्ग भी नहीं हिलता

तू अपने आज पे असरात कल के देख ज़रा

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ऐ दिल तिरे तुफ़ैल जो मुझ पर सितम हुए

कभी जो उस की तमन्ना ज़रा बिफर जाए

ज़माना कुछ भी कहे तेरी आरज़ू कर लूँ

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