अरशद नईम
ग़ज़ल 1
नज़्म 1
अशआर 2
मैं वुसअतों से बिछड़ के तन्हा न जी सकूँगा
मुझे न रोको मुझे समुंदर बुला रहा है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere