भूल के कभी न फ़ाश कर राज़-ओ-नियाज़-ए-आशिक़ी
वो भी अगर हों सामने आँख उठा के भी न देख
आरज़ू सहारनपुरी, साधू राम (1899-1983 ) इश्क़ और हुस्न को अध्यात्मिक अनुभव बनाने वाले नुमायाँ शाइर। सहारनपूर (उत्तर प्रदेश) में पैदाइश। घर पर अरबी, फ़ारसी, उर्दू और हिंदी पढ़ी और बाद में संस्कृत और बंगला भी सीखी। पेशे से इन्जीनियर मगर दिल-ओ-दिमाग़ से शाइर थे। ‘फ़ानी बदायूनी की शागिर्दी में आए और उन की जैसी काव्य-दृष्टि पैदा करने की कोशिश की।