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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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असद भोपाली

1921 - 1990 | भोपाल, भारत

फ़िल्म गीतकार

फ़िल्म गीतकार

असद भोपाली

ग़ज़ल 14

अशआर 15

इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले

वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते

मौज-ए-हवादिस तुझे मालूम नहीं क्या

हम अहल-ए-मोहब्बत हैं फ़ना हो नहीं सकते

बज़्म अपनी अपना साक़ी शीशा अपना जाम अपना

अगर यही है निज़ाम-ए-हस्ती तो ज़िंदगी को सलाम अपना

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हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे

अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई

ऐसे इक़रार में इंकार के सौ पहलू हैं

वो तो कहिए कि लबों पे तबस्सुम आए

पुस्तकें 2

 

चित्र शायरी 2

 

ऑडियो 5

कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते

गिराँ गुज़रने लगा दौर-ए-इंतिज़ार मुझे

जब ज़रा रात हुई और मह ओ अंजुम आए

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