आसिफ़ बनारसी के शेर
दम भर के लिए होती है तस्कीन सी दिल को
आगे न बढ़ा इस से असर अपनी दुआ का
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अभी आँखों ही को दे बज़्म में गर्दिश साक़ी
यही पैमाने छलकते रहें जाम आने तक
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