असिफ़ा निशात के शेर
बाज़ चेहरे बहुत हसीन सही
फिर भी कितनों से दोस्ती की जाए
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वो मेरे ख़्वाब ले के सिरहाने खड़ा रहा
मैं सो रही थी उस ने जगाया नहीं मुझे
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दरयाफ़्त कर लिया है बसाया नहीं मुझे
सामान रख दिया है सजाया नहीं मुझे
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