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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अबुधाबी निवासी प्रसिद्ध शायर, चर्चित अदीब व शायर शौकत वास्ती के सुपुत्र

अबुधाबी निवासी प्रसिद्ध शायर, चर्चित अदीब व शायर शौकत वास्ती के सुपुत्र

आसिम वास्ती

ग़ज़ल 155

नज़्म 8

अशआर 27

ख़ुश्क रुत में इस जगह हम ने बनाया था मकान

ये नहीं मालूम था ये रास्ता पानी का है

तिरी ज़मीन पे करता रहा हूँ मज़दूरी

है सूखने को पसीना मुआवज़ा है कहाँ

बदल गया है ज़माना बदल गई दुनिया

अब वो मैं हूँ मिरी जाँ अब वो तू तू है

लोग कहते हैं कि वो शख़्स है ख़ुशबू जैसा

साथ शायद उसे ले आए हवा देखते हैं

सीखा दुआओं में क़नाअत का सलीक़ा

वो माँग रहा हूँ जो मुक़द्दर में नहीं है

पुस्तकें 9

 

ऑडियो 12

एक आँसू में तिरे ग़म का अहाता करते

गुज़र चुका है जो लम्हा वो इर्तिक़ा में है

तुम भटक जाओ तो कुछ ज़ौक़-ए-सफ़र आ जाएगा

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