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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Azhar Bakhsh Azhar's Photo'

अज़हर बख़्श अज़हर

1952 | नागपुर, भारत

अज़हर बख़्श अज़हर

ग़ज़ल 10

नज़्म 1

 

अशआर 13

कहो हुस्न-ए-जमाल-यार से ये इतनी सज-धज क्यों

भरी बरसात में पौदों को पानी कौन देता है

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हुस्न की देवी बनी बैठी हैं दिल है बुत-कदा

चंद मुस्लिम लड़कियों ने हम को हिन्दू कर दिया

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जब कमसिन से इश्क़ लड़ाना पड़ता है

बच्चों जैसा पाठ पढ़ाना पड़ता है

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ख़ूँ-बहा देते हैं ज़ालिम तख़्त पाने के लिए

लोग कितना गिर गए ख़ुद को उठाने के लिए

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हर वक़्त कसे रहते हैं माओं की पीठ से

गोदी में नहीं खेलते मज़दूर के बच्चे

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पुस्तकें 4

 

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