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अज़ीज़ लखनवी

1882 - 1935 | लखनऊ, भारत

लखनऊ में क्लासिकी ग़ज़ल के प्रमुख उस्ताद शायर

लखनऊ में क्लासिकी ग़ज़ल के प्रमुख उस्ताद शायर

अज़ीज़ लखनवी

ग़ज़ल 41

नज़्म 5

 

अशआर 60

अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न

भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का

पैदा वो बात कर कि तुझे रोएँ दूसरे

रोना ख़ुद अपने हाल पे ये ज़ार ज़ार क्या

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ख़ुद चले आओ या बुला भेजो

रात अकेले बसर नहीं होती

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ज़बान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती

किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता

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लुत्फ़-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार

दिल ही उजड़ गया कि ज़माना उजड़ गया

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पुस्तकें 27

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