अज़लान शाह
ग़ज़ल 20
अशआर 15
तवील उम्र की ढेरों दुआएँ भेजी हैं
मिरे चराग़ को पानी से भरने वालों ने
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हार को जीत के इम्कान से बाँधे हुए रख
अपनी मुश्किल किसी आसान से बाँधे हुए रख
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किसी के नाम पे नन्हे दिए जलाते हुए
ख़ुदा को भूल गए नेकियाँ कमाते हुए
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तू बात नहीं सुनता यही हल है फिर इस का
झगड़े के लिए वक़्त निकालें कोई हम भी
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