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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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बाबर रहमान शाह

1994

बाबर रहमान शाह

ग़ज़ल 6

अशआर 7

थकन से चूर है सारा वजूद अब मेरा

मैं बोझ इतने ग़मों का तो ढो नहीं सकता

किसी के जाल में कर मैं अपना दिल गँवा बैठा

मुझे था इश्क़ क़ातिल से मैं अपना सर कटा बैठा

परी-ज़ाद तेरे जाने पर

हो गया ख़ुद से राब्ता मेरा

दिल ने हम से अजब ही काम लिया

हम को बेचा मगर दाम लिया

मुफ़्लिसी ने जा-ब-जा लूटा हमें

अब बचा कुछ भी नहीं लुटवाएँ क्या

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