बकुल देव
ग़ज़ल 21
अशआर 20
तअ'ल्लुक़ तर्क तो कर लें सभी से
भले लगते हैं कुछ नुक़सान लेकिन
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मुस्कुराने का फ़न तो बअ'द का है
पहले साअ'त का इंतिख़ाब करो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मिले अब के तो रोए टूट कर हम
गुनाह अपनी सज़ा के रू-ब-रू था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
सम्त दुनिया के हम गए ही नहीं
उस इलाक़े से दुश्मनी सी रही
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हवस शामिल है थोड़ी सी दुआ में
अभी इस लौ में हल्का सा धुआँ है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए