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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Balwan Singh Azar's Photo'

बलवान सिंह आज़र

हरयाना, भारत

बलवान सिंह आज़र के शेर

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पूछना चाँद का पता 'आज़र'

जब अकेले में रात मिल जाए

हार जाएगी यक़ीनन तीरगी

गर मुसलसल रौशनी ज़िंदा रही

हवा के दोश पर लगता है उड़ने

जो पत्ता टूट जाता है शजर से

ख़त्म होता ही नहीं मेरा सफ़र

कोई थक-हार गया है मुझ में

कोई मंज़िल कभी नहीं आई

रास्ते में था रास्ते में हूँ

मार देती है ज़िंदगी ठोकर

ज़ेहन जब उल्टे पाँव चलता है

चलूँगा कब तलक तन्हा सफ़र में

मुझे मिलता नहीं है कारवाँ क्यूँ

तू भले मेरा ए'तिबार कर

ज़िंदगी मैं तिरे कहे में हूँ

पावँ से काँटा निकल जाए अगर

अपनी रफ़्तार बढ़ा लूँ मैं भी

ऐसी होने लगी थकन उस को

दिन के ढलते ही सो गया रस्ता

खुला मकान है हर एक ज़िंदगी 'आज़र'

हवा के साथ दरीचों से ख़्वाब आते हैं

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