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बशर नवाज़

1935 - 2015 | औरंगाबाद, भारत

प्रतिष्ठित प्रगतिशील शायर,आलोचक,पटकथा लेखक,और गीतकार/ फ़िल्म 'बाजार' के गीत 'करोगे याद तो हर बात याद आएगी' के लिए प्रसिद्ध

प्रतिष्ठित प्रगतिशील शायर,आलोचक,पटकथा लेखक,और गीतकार/ फ़िल्म 'बाजार' के गीत 'करोगे याद तो हर बात याद आएगी' के लिए प्रसिद्ध

बशर नवाज़

ग़ज़ल 19

नज़्म 14

अशआर 12

करोगे याद तो हर बात याद आएगी

गुज़रते वक़्त की हर मौज ठहर जाएगी

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कहते कहते कुछ बदल देता है क्यूँ बातों का रुख़

क्यूँ ख़ुद अपने-आप के भी साथ वो सच्चा नहीं

जाने किन रिश्तों ने मुझ को बाँध रक्खा है कि मैं

मुद्दतों से आँधियों की ज़द में हूँ बिखरा नहीं

कोई यादों से जोड़ ले हम को

हम भी इक टूटता सा रिश्ता हैं

दे निशानी कोई ऐसी कि सदा याद रहे

ज़ख़्म की बात है क्या ज़ख़्म तो भर जाएँगे

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At Sarosh Education Campus, Aurangabad

बशर नवाज़

Bashar Nawaz reflects on his craft, life and times.

बशर नवाज़

ऑडियो 5

अबदियत

एक ख़्वाहिश

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