बेबाक भोजपुरी के शेर
जम्हूरियत भी तुरफ़ा-तमाशा का किस क़दर
लौह-ओ-क़लम की जान यद-ए-अहरमन में है
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टैग : लोकतंत्र
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हर बूँद नोक-ए-किल्क की देती है दर्स-ए-होश
कौनैन का सुराग़ भी बत्न-ए-सुख़न में है
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