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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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बेबाक भोजपुरी

1919 - 1984 | बिहार, भारत

बेबाक भोजपुरी के शेर

जम्हूरियत भी तुरफ़ा-तमाशा का किस क़दर

लौह-ओ-क़लम की जान यद-ए-अहरमन में है

हर बूँद नोक-ए-किल्क की देती है दर्स-ए-होश

कौनैन का सुराग़ भी बत्न-ए-सुख़न में है

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