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बेख़ुद देहलवी

1863 - 1955 | दिल्ली, भारत

दाग़ देहलवी के शिष्य

दाग़ देहलवी के शिष्य

बेख़ुद देहलवी

ग़ज़ल 58

अशआर 75

तुम को आशुफ़्ता-मिज़ाजों की ख़बर से क्या काम

तुम सँवारा करो बैठे हुए गेसू अपने

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दुश्मन के घर से चल के दिखा दो जुदा जुदा

ये बाँकपन की चाल ये नाज़-ओ-अदा की है

दिल चुरा कर ले गया था कोई शख़्स

पूछने से फ़ाएदा, था कोई शख़्स

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दिल हुआ जान हुई उन की भला क्या क़ीमत

ऐसी चीज़ों के कहीं दाम दिए जाते हैं

नामा-बर ये तो कही बात पते की तू ने

ज़िक्र उस बज़्म में रहता तो है अक्सर अपना

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नअत 1

 

पुस्तकें 7

 

चित्र शायरी 3

 

ऑडियो 17

आप हैं बे-गुनाह क्या कहना

आशिक़ समझ रहे हैं मुझे दिल लगी से आप

आशिक़ हैं मगर इश्क़ नुमायाँ नहीं रखते

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