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बिस्मिल अज़ीमाबादी

1901 - 1978 | पटना, भारत

अज़ीमाबाद के नामचीन शायर, मशहूर शेर ‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है / देखना है जोर कितना बाज़ुए क़ातिल में है’ के रचयिता

अज़ीमाबाद के नामचीन शायर, मशहूर शेर ‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है / देखना है जोर कितना बाज़ुए क़ातिल में है’ के रचयिता

बिस्मिल अज़ीमाबादी

ग़ज़ल 17

अशआर 28

इक ग़लत सज्दे से क्या होता है वाइज़ कुछ पूछ

उम्र भर की सब रियाज़त ख़ाक में मिल जाए है

एक दिन वो दिन थे रोने पे हँसा करते थे हम

एक ये दिन हैं कि अब हँसने पे रोना आए है

ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी हुई 'बिस्मिल'

रो सके कभी हँस सके ठिकाने से

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे आसमाँ

हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है

हो मायूस ख़ुदा से 'बिस्मिल'

ये बुरे दिन भी गुज़र जाएँगे

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