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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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दाग़ देहलवी

1831 - 1905 | दिल्ली, भारत

उर्दू के सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल। शायरी में चुस्ती , शोख़ी और मुहावरों के इस्तेमाल के लिए प्रसिद्ध

उर्दू के सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल। शायरी में चुस्ती , शोख़ी और मुहावरों के इस्तेमाल के लिए प्रसिद्ध

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो

दाग़ देहलवी

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एजाज़ हुसैन हज़रावी

एजाज़ हुसैन हज़रावी

पंकज उदास

इक़बाल बानो

ख़ुर्शीद बेगम

Aae koi to baith bhi jaae

Aae koi to baith bhi jaae मलिका पुखराज

Aaj ki raat

Aaj ki raat नूर जहाँ

Be-zabaanii zabaa.n na ho jaa.e

Be-zabaanii zabaa.n na ho jaa.e मलिका पुखराज

Iqbal Bano Tere Waaday ko Dagh Dehlvi

Iqbal Bano Tere Waaday ko Dagh Dehlvi इक़बाल बानो

Kiya hai deendar us sanam ko

Kiya hai deendar us sanam ko शुमोना राय बिस्वास

Mohabbat mein karen kya kuch kisi se ho nahi sakta

Mohabbat mein karen kya kuch kisi se ho nahi sakta शुमोना राय बिस्वास

Sarguzasht apni fasana hai zamane ke liye

Sarguzasht apni fasana hai zamane ke liye दिलराज कौर

अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम

अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम मसूद राणा

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं मेहदी हसन

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं फ़रीदा ख़ानम

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया मेहदी हसन

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया मोहम्मद रफ़ी

ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं

ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं टीना सानी

मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है

मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है मुन्नी बेगम

मेहदी हसन

रुना लैला

अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का

अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का शेरिया घोशाल

अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का

अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का सुरैया

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता अज्ञात

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता अज्ञात

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता अज्ञात

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता तलअत अज़ीज़

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता शुमोना राय बिस्वास

अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम

अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम अहमद हुसैन, मोहम्मद हुसैन

अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम

अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम अज्ञात

आप का ए'तिबार कौन करे

आप का ए'तिबार कौन करे शुमोना राय बिस्वास

आप का ए'तिबार कौन करे

आप का ए'तिबार कौन करे मेहरान अमरोही

आरज़ू है वफ़ा करे कोई

आरज़ू है वफ़ा करे कोई अज्ञात

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं बेगम अख़्तर

कहते हैं जिस को हूर वो इंसाँ तुम्हीं तो हो

कहते हैं जिस को हूर वो इंसाँ तुम्हीं तो हो अनीता सिंघवी

काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है

काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है शुमोना राय बिस्वास

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया मेहदी हसन

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया मुख़्तार बेगम

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया मुख़्तार बेगम

खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से

खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से ताज मुल्तानी

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया ग़ुलाम अली

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया शुमोना राय बिस्वास

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया अज्ञात

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया मोहम्मद रफ़ी

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया फ़रीदा ख़ानम

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया मेहदी हसन

ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया

ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया मेहरान अमरोही

जल्वे मिरी निगाह में कौन-ओ-मकाँ के हैं

जल्वे मिरी निगाह में कौन-ओ-मकाँ के हैं ताज मुल्तानी

ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं

ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं मलिका पुखराज

ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं

ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं ताहिरा सैयद

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था मेहरान अमरोही

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था Urdu Studio

तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं

तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं अज्ञात

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने मेहरान अमरोही

दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें

दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें नूर जहाँ

दिल चुरा कर नज़र चुराई है

दिल चुरा कर नज़र चुराई है अज्ञात

दिल चुरा कर नज़र चुराई है

दिल चुरा कर नज़र चुराई है मेहरान अमरोही

ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए

ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए फ़रीदा ख़ानम

पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह

पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह एजाज़ हुसैन हज़रावी

पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह

पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह हेमलता

फिरे राह से वो यहाँ आते आते

फिरे राह से वो यहाँ आते आते ताज मुल्तानी

फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्यूँकर

फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्यूँकर अज्ञात

बात मेरी कभी सुनी ही नहीं

बात मेरी कभी सुनी ही नहीं अज्ञात

मोहब्बत का असर जाता कहाँ है

मोहब्बत का असर जाता कहाँ है मेहरान अमरोही

मोहब्बत का असर जाता कहाँ है

मोहब्बत का असर जाता कहाँ है अज्ञात

रंज की जब गुफ़्तुगू होने लगी

रंज की जब गुफ़्तुगू होने लगी ग़ुलाम अली

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा अज्ञात

लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है

लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है फ़रीदा ख़ानम

वो ज़माना नज़र नहीं आता

वो ज़माना नज़र नहीं आता मेहरान अमरोही

सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं

सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं मेहरान अमरोही

सबक़ ऐसा पढ़ा दिया तू ने

सबक़ ऐसा पढ़ा दिया तू ने सुमन कल्याणपुर

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें बेगम अख़्तर

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें मलिका पुखराज

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें राहत फ़तह अली

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें फ़रीदा ख़ानम

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया उस्उताद म्मीद अली ख़ान

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया ताहिरा सैयद

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा आबिदा परवीन

शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

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