दिलकश सागरी के शेर
ऐ इंक़लाब-ए-नौ के उजाले कहाँ है तू
सड़कों पे मेरे शहर की कब तक धुआँ रहे
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है लहू शहीदों का नक़्श-ए-जावेदाँ यारो
मक़्तलों में होती है आज भी अज़ाँ यारो
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टैग : शहीद
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