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दुल्हन बेगम

1760 | लखनऊ, भारत

अवध के नवाब आसिफुद्दौला की बेगम, भुत मज़हबी थीं और शायरी से गहरा लगाव रखती थीं

अवध के नवाब आसिफुद्दौला की बेगम, भुत मज़हबी थीं और शायरी से गहरा लगाव रखती थीं

दुल्हन बेगम

अशआर 6

दिन कटा फ़रियाद से और रात ज़ारी से कटी

उम्र कटने को कटी पर कितनी ख़्वारी से कटी

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बहा है फूट के आँखों से आबला दिल का

तरी की राह से जाता है क़ाफ़िला दिल का

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मत करो फ़िक्र इमारत की कोई ज़ेर-ए-फ़लक

ख़ाना-ए-दिल जो गिरा है उसे ता'मीर करो

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इतने कम-ज़र्फ़ नहीं हम जो बहकते जावें

मिस्ल-ए-गुल जावें जिधर जावें महकते जावें

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बयाँ मैं किस से करूँ जा के अब गिला दिल का

ये दिल का दिल ही में होवेगा फ़ैसला दिल का

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