फ़ैज़ आलम बाबर के शेर
पागल-पन में आ कर पागल कुछ भी तो कर सकता है
ख़ुद को इज़्ज़त-दार समझने वाले मुझ से दूर रहें
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देखता है कौन 'बाबर' किस का क्या किरदार है
जिस से जो मंसूब क़िस्सा हो गया तो हो गया
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