फ़ैज़ लुधियानवी के शेर
तू नया है तो दिखा सुब्ह नई शाम नई
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई
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टैग : नया साल
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अक़्ल गुम है दिल परेशाँ है नज़र बेताब है
जुस्तुजू से भी नहीं मिलता सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
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ग़रीबी किस बला का नाम है उन की बला जाने
ख़ुदा है जिन की दौलत जिन का शेवा ज़र-परस्ती है
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