फ़ैज़ान आरिफ़
ग़ज़ल 7
नज़्म 1
अशआर 1
जहाँ फ़ैज़ान-ए-आबादी बहुत है
वहाँ पर भी घने जंगल रहे थे
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere