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फ़ैज़ान हाशमी

1986 | पाकिस्तान

फ़ैज़ान हाशमी

ग़ज़ल 9

अशआर 9

बहुत क़दीम नहीं कल का वाक़िआ है ये

मैं इस ज़मीन पे उतरा था तेरी ज़ात के साथ

बस यही सोच के रहता हूँ मैं ज़िंदा इस में

ये मोहब्बत है कोई मर नहीं सकता इस में

मैं अपनी ख़ुशियाँ अकेले मनाया करता हूँ

यही वो ग़म है जो तुझ से छुपा हुआ है मिरा

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वो क्या ख़ुशी थी जो दिल में बहाल रहती थी

मगर वज्ह नहीं बनती थी मुस्कुराने की

तेरा बोसा ऐसा प्याला है जिस में से

पानी पीने वाला प्यासा रह जाएगा

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