फ़रहान ख़ान उर्दू शायरी में उभरता हुआ नाम हैं। 15 अगस्त 1978 को शाहजहाँपुर, उतर प्रदेश, भारत के एक ज़िले में पैदा होने वाले फ़रहान ख़ान ने अपनी इब्तिदाई तालीम अपने आबाई शहर से हासिल की और बाद अज़ाँ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की तालीम मुकम्मल की।
अदब और शायरी से गहरे शग़फ़ के हामिल फ़रहान ख़ान ने अपने तख़लीक़ी हुनर के ज़रीए मुआसिर उर्दू शायरी में एक मुन्फ़रिद मक़ाम हासिल किया है। वो गुज़श्ता एक दहाई से ज़्यादा अर्से से शायरी के फ़न में मसरूफ़ हैं। इस वक़्त दुबई में मुक़ीम हैं और एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं।
फ़रहान ख़ान की शायरी आम तख़य्युल से कहीं आगे है, जो अक्सर गहरे फ़ल्सफ़ियाना ख़यालात को इंसानी जज़्बात के नाज़ुक इज़्हार के साथ जोड़ती है। अपने अशआर में, ये शायर हुस्न, दर्द, और तड़प को इस तरह हम-आहंग करते हैं कि क़ारी को एक ऐसी दुनिया में ले जाते हैं जहाँ ग़ौर-ओ-फ़िक्र और गहरी जज़्बाती कैफ़ियात ग़ालिब रहती हैं। उनके अशआर में ग़ज़लों की ख़ूबसूरती ज़िंदगी के दाख़िली एहसासात और अस्री हक़ायक़ की भरपूर अक्कासी करती है। उनके कलाम की सादगी, एहसास की गहराई, और वज़ाहत उन्हें एक नुमायाँ और मुन्फ़रिद शायर के तौर पर मुमताज़ करती है।