Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Farigh Bukhari's Photo'

फ़ारिग़ बुख़ारी

1917 - 1997 | पाकिस्तान

एक प्रख्यात प्रगतिशील कवि, ग़ज़ल और साहित्यिक पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान

एक प्रख्यात प्रगतिशील कवि, ग़ज़ल और साहित्यिक पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान

फ़ारिग़ बुख़ारी का परिचय

उपनाम : ''फ़ारिग''

मूल नाम : अहमद शाह

जन्म : 11 Nov 1917 | पेशावर, ख़ैबर पुख़्तुंख़ुवा

निधन : 13 Apr 1997

LCCN :n84018316

दीवारें खड़ी हुई हैं लेकिन

अंदर से मकान गिर रहा है

फ़ारिग़ बुख़ारी का असली नाम अहमद शाह था। उनका जन्म 11 नवंबर 1917 को पेशावर में हुआ। इंटरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने पूर्वी भाषाओं की कई परीक्षाएँ पास कीं। फ़ारिग़ बुख़ारी वैचारिक रूप से प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े थे, लेकिन इस वैचारिक जुड़ाव ने उनकी रचनात्मकता को सीमित नहीं किया। वह विषय, भाषा और काव्य रूपों में नए-नए प्रयोग करते रहे। उनका एक प्रमुख प्रयोग ग़ज़ल के फ़ाॅर्म में था। उन्होंने अपने काव्य संग्रह "ग़ज़लिया" में ग़ज़ल की शैली और तकनीक को एक नए अंदाज़ में इस्तेमाल किया।

फ़ारिग़ ने उर्दू साहित्यिक पत्रकारिता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे मासिक पत्रिका 'नग़्मा-ए-हयात' और साप्ताहिक 'शबाब' के संपादक रहे, और 'संग-ए-मील' नाम से एक साहित्यिक पत्रिका भी निकाली। 

फ़ारिग़ बुख़ारी की प्रकाशित कृतियाँ हैं: 'ज़ेर-ओ-बम', 'शीशे के पैरहन', 'ख़ुशबू का सफ़र', 'ग़ज़लिया', 'अदबियात-ए-सरहद', 'पश्तो के लोकगीत', 'सरहद के लोकगीत', 'बाचा ख़ान', 'पश्तो शायरी', 'रहमान बाबा के अफ़कार', 'जुर्रत-ए-आशिक़ाँ'।

फ़ारिग़ बुख़ारी को उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक सेवाओं के लिए पाकिस्तान सरकार ने 'सदारती तमग़ा बराए-हुस्न-ए-कारकर्दगी' से सम्मानित किया। 13 अप्रैल 1997 को पेशावर में उनका निधन हुआ।

 


संबंधित टैग

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए