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फ़रताश सय्यद

- 2021 | पाकिस्तान

फ़रताश सय्यद

ग़ज़ल 15

अशआर 4

आसमानों पे उड़ो ज़ेहन में रक्खो कि जो चीज़

ख़ाक से उठती है वो ख़ाक पे जाती है

तू समझता है कि मैं कुछ भी नहीं तेरे बग़ैर

मैं तिरे प्यार से इंकार भी कर सकता हूँ

तिरे ख़िलाफ़ किया जब भी एहतिजाज दोस्त

मिरा वजूद भी शामिल नहीं हुआ मिरे साथ

रंग-ओ-ख़ुशबू का कहीं कोई करे ज़िक्र तो बात

घूम फिर कर तिरी पोशाक पे जाती है

पुस्तकें 1

 

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