फ़य्याज़ तहसीन
ग़ज़ल 3
नज़्म 6
अशआर 3
कुछ उक़दे ऐसे होते हैं जो न ही खुलें तो बेहतर है
कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें दिल में छुपा लेना अच्छा
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जिसे पाने की ख़्वाहिश में जिए थे
उसी की ज़ात का इंकार करना
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तुझे ख़बर है कि इब्तिदा भी है इंतिहा भी
जहान-ए-मअ'नी में दरमियाँ को भी याद रखना
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