Faza Ibn e Faizi's Photo'

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

1923 - 2009 | मऊनाथ भंजन, भारत

शायरी में एक आज़ाद सृजनात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध

शायरी में एक आज़ाद सृजनात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

ग़ज़ल 43

अशआर 31

आँखों के ख़्वाब दिल की जवानी भी ले गया

वो अपने साथ मेरी कहानी भी ले गया

ग़ज़ल के पर्दे में बे-पर्दा ख़्वाहिशें लिखना

आया हम को बरहना गुज़ारिशें लिखना

एक दिन ग़र्क़ कर दे तुझे ये सैल-ए-वजूद

देख हो जाए पानी कहीं सर से ऊँचा

उस की क़ुर्बत का नशा क्या चीज़ है

हाथ फिर जलते तवे पर रख दिया

  • शेयर कीजिए

किस तरह उम्र को जाते देखूँ

वक़्त को आँखों से ओझल कर दे

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 10

 

ऑडियो 10

आँखों के ख़्वाब दिल की जवानी भी ले गया

आह को बाद-ए-सबा दर्द को ख़ुशबू लिखना

जबीं पे गर्द है चेहरा ख़राश में डूबा

Recitation

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए