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Fazil Jamili's Photo'

उर्दू के प्रसिद्ध पत्रकार और शायर

उर्दू के प्रसिद्ध पत्रकार और शायर

फ़ाज़िल जमीली

ग़ज़ल 20

नज़्म 2

 

अशआर 19

इक तअल्लुक़ था जिसे आग लगा दी उस ने

अब मुझे देख रहा है वो धुआँ होते हुए

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मैं अक्सर खो सा जाता हूँ गली-कूचों के जंगल में

मगर फिर भी तिरे घर की निशानी याद रखता हूँ

मैं इक थका हुआ इंसान और क्या करता

तरह तरह के तसव्वुर ख़ुदा से बाँध लिए

मुद्दत के ब'अद आज मैं ऑफ़िस नहीं गया

ख़ुद अपने साथ बैठ के दिन भर शराब पी

सब अपने अपने दियों के असीर पाए गए

मैं चाँद बन के कई आँगनों में उतरा हूँ

पुस्तकें 1

 

वीडियो 7

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Ae darakhto'n tumhe'n jab kaat dya jaayega

ऐ दरख़तो! तुम्हें जब काट दिया जाएगा फ़ाज़िल जमीली

Sarhadai'n

ये सरहदें.... पड़ोसनें फ़ाज़िल जमीली

suKHan jo us ne kahe the girah se baa.ndh liye

फ़ाज़िल जमीली

कहीं से नीले कहीं से काले पड़े हुए हैं

फ़ाज़िल जमीली

ख़िज़ाँ का रंग दरख़्तों पे आ के बैठ गया

फ़ाज़िल जमीली

दास्तानों में मिले थे दास्ताँ रह जाएँगे

फ़ाज़िल जमीली

शौक़ीन मिज़ाजों के रंगीन तबीअ'त के

फ़ाज़िल जमीली

ऑडियो 5

कहीं से नीले कहीं से काले पड़े हुए हैं

ख़िज़ाँ का रंग दरख़्तों पे आ के बैठ गया

सुख़न जो उस ने कहे थे गिरह से बाँध लिए

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