aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1918 - 1987 | दिल्ली, भारत
उर्दू साहित्य के महत्वपूर्ण हास्य-व्यंग्य लेखक
कभी-कभी कोई इंतिहाई घटिया आदमी आपको इंतिहाई बढ़िया मश्वरा दे जाता है। मगर आह! कि आप मश्वरे की तरफ़ कम देखते हैं, घटिया आदमी की तरफ़ ज़्यादा।
कुँवारी लड़की उस वक़्त तक अपना बर्थ-डे मनाती रहती है, जब तक वह हनीमून मनाने के काबिल नहीं हो जाती।
ख़ुदा ने गुनाह को पहले पैदा नहीं किया। इंसान को पहले पैदा कर दिया। यह सोच कर कि अब ये ख़ुद-ब-ख़ुद गुनाह पैदा करेगा।
औरत का हुस्न सिर्फ उस वक़्त तक बर-क़रार रहता है, जब तक उसके सना-ख़्वाँ मौजूद हो।
हमें दुश्मन से झगड़ने के बाद ही वो गाली याद आती है, जो दुश्मन की गाली से ज़्यादा करारी और तीखी थी।
Aadha Aadmi
1980
Akhri Kitab
Baat Me Ghaat
1983
Badnam Kitab
1957
1975
Chaupat Raja
1973
Chhata Dariya (Ek Dairy)
1948
Chhata Darya
Ek Diary
Chhilke Hi Chhilke
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